सोयाबीन उत्पादन के बेहतर और जरूरी उपाय :-
सोयाबीन फसल के लिए गहरी काली मिट्टी वाली जमीन सोयाबीन के लिए सही मानी जाती है ,कृषि विशेषज्ञ अनुसार तीन साल में एक बार गहरी जुताई करनी चाहिए और गर्मी में एक समान्य जुताई करना चाहिए , स्वाईलर से जुताई करना इसलिए अच्छा रहता है,क्योंकि यह 12 से 18 इंच तक गहरी जुताई करता है ,जहा तक सोयाबीन की किस्मों का सवाल है,तो कृषि विशेषज्ञ ने मालवा ,निमाड़ की जलवायु के लिए जे एस- 9560 उपुक्त है,इसके अलावा जे एस -9305, जे एस – 2034 ,आर वी एस – 2001 – 4 , एन आर सी – 37 और जे एस – 9752 की आकांशा की है. ये किस्मे 80 से 100 दिन में पक जाती है ,इनका औसत उत्पादन 25 – 30 कुन्तल / हैक्टर होता है.
यह इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है,की जो किसान जिस प्रजाति का बीज स्वय बनाने के इक्छुक हैं उन्हें बीज विश्वसनिय स्त्रोत से लेना चाहिए ,प्लाट का चयन ,परिपक्क और शुद्ध बीजों का चुनाव करना चाहिए ,बीज बीज की ग्रेडिंग के लिए स्पाईरल ग्रेडिंग का उपयोग करना चाहिए ,स्वय के बीजों को भी तीन साल में बदल देना चाहिए ,प्रमाणित सोयाबीन बीज को बीज प्रामणीकरण संस्था या अनुज्ञा प्राप्त निजी संस्था से ही ख़रीदाना चाहिए ,प्रमाणित बीज का टैग नीला – बैंगनी रग का होता है,इसमें लिखे निर्देशों को ध्यान से पढ़कर उसके अनुसार काम करना चहिये ,इस टैग को संभालकर रखना चाहिए ,ताकि कोई समस्या आये तो शिकायत की जा सके।
बीज दर बीजोपचार एवं बुवाई :- जहा तक बीजो की बबुवाई समय का सवाल है , तो देरी से मध्यम अवधि की किस्मों के लिए 20 – 30 जून और कम अवधि की किस्मो के लिए जुलाई के पहले सप्ताह में बोवनी करनी चाहिए ,बीज दर की बात करे तो छोटे दाने वाली किस्मों के लिए 60 किलों / हैक्टर। मध्यम दाने वाली के लिए 75 किलो / हैक्टर और बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80 किलों / हैक्टर। बीज पर्यात्प है ,बुवाई से पहले बीजोपचार अवश्य करना चहिये , इसमें कई रोगों और कीटो से बचाव होता है ,थायरम + कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम / बीज या थायरम + कार्बोकिसन 2 ग्राम / किलो. से बीजोपचार करे। अथवा थायोमीथोकजाम 30 एफ एस 10 ग्राम /किलो दर से या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ एस 1. 25 मिली /किलो बीज से बीजोपचार करें। राइजोबियम 5 ग्राम /किलो पी एस बी -8 – 10 ग्राम /किलो बीज और ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम / किलो . से बीजोपचार करे। ध्यान रहे की फफूंदनाशी और कीटनाशी का प्रयोग राइजोबियम या पी एस बी से पहले किया जाता है। अधिक शाखा वाली किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 40 -50 सेमी ,सीधी बढ़ने वाली किस्मों के लिए दूरी 30 सेमी रखना चाहिए। बड़े आकार वाली किस्म 9560 को 3 सेमी तक गहराई में बोना चाहिए। बुवाई के लिए सीड कम फर्टीड्रिल का उपयोग करना चाहिए। वर्षा जल का उचित प्रभंधन , यथा समय रोग एवं कीट नियंत्रण करके सोयाबीन का बेहतर उत्पादन पाया जा सकता है।