सोयाबीन के बीजों को बुवाई के पहले कई प्रकार के बीजोपचार के रोग होते है ,कौन का बीजोपचार करे जाने :-
सोयाबीन के बीजों पर कम से कम 10 -15 प्रकार की फफूंदी रहती है जिनको समाप्त करना होता है ताकि अच्छा अंकुरण मिल सके।
- सबसे पहले बीजो को छटाई करके अच्छा बीज निकले।
- इस बीज का अंकुरण परीक्षण करके बीज दर का निर्धारण स्वम करे।
- इस बीज को 5 ग्राम पी.एस.बी/ किलो के हिसाब से उपचारित करे।
- अब आपको बीज बुवाई के लिए तैयार है।
- तीनों बीजोपचार का अलग – अलग मतलब है ,पहले से फफूंदो का सफाया ,दूसरे से कल्चर द्वारा बीज के अंकुरण तथा नत्रजन की गाठों का विकास तथा तीसरे से भूमि के अंदर बैठे स्फुर की उपलब्धता पौधों के लिए बढ़ाना।
- ध्यान रहे सोयाबीन तिलहन या दलहन दोना फसलों को अधिक उत्पादन के लिए स्फुर की अधिक उत्पादन के लिए स्फुर की अधिक से अधिक उपलब्धता जरुरी है।
आलू की कौन -कौन सी जातिया उपयक्त है जाने :- आलू की खेती के विस्तार की प्रबल सम्भावनाये है आप भी आलू लगाए और ये तकनीक अपनाये।
- जातियों में कुफरी लवकर, कुफरी चंद्रमुखी ,कुफरी अशोका तथा कुफरी जवाहर अगेती किस्में है जो 70 -80 दिनों में आ जाती हैं। कुफरी सूर्या ,कुफरी ज्योति,कुफरी पुखराज एवं कुफरी बादशाह है।
- खेत की तैयारी बहुत अच्छी होना चाहिए ताकि कंदो का विकास ठीक से हो सके।
- 260 किलो यूरिया ,375 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश तथा गोबर खाद 20 – 30 टन आखिरी जुताई के समय प्रति है की दर से डाले।
- मिटटी चढ़ना आलुओ के अच्छे विकास के लिए जरुरी है ,नींदा निकलते समय यह कार्य भी किया जाये।
- सिंचाई 10 -15 दिनों के अंतर से करते रहें।